
प्रोपर्टी डीलिंग के धंधे में फेल हुआ तो बच्चे चुराकर निसंतान दंपत्तियों को बेचने लगा
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ह्यूमन
ट्रैफिकर्स के गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह से जुड़े 8 लोगों को गिरफ्तार कर
उनके चंगुल से 3 महीने व डेढ माह के दो बच्चों को मुक्त कराया गया है। गिरफ्तार
आरोपियों में पांच महिलाए भी शामिल है। गिरोह के लोग अस्पतालों से बच्चे चुराकर
उन दंपत्तियों को बेच देते थे जिनकी संतान नहीं होनी की उम्मीद खत्म हो चुकी थी।
अपराध शाखा की डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने बताया कि गुरूग्राम की रहने वाली प्रीति के 3 माह के बेटे को मोती बाग
गुरुद्वारा के पास एक अज्ञात
महिला गोद
में खिलाने के बहाने चुराकर ले गई। इस संबध में साउथ कैंपस थाने में 23 अक्टूबर
को अपहरण का मामला दर्ज किया गया था।
जिसके बाद क्राइम ब्रांच की एएचटीयू यूनिट के एसीपी सुरेन्द्र गुलिया की टीम बच्चे का पता लगाने के लिए इस पर काम कर रही थी। जांच के क्रम में यूनिट के हवालदार बलराज व एसआई वीरेंद्र त्यागी शकूरपुर में रहने वाले गोपाल उर्फ पंकज तक पहुंच गए जो अपनी गीता रंधावा के साथ बच्चों को चुराकर बेचने का गिरोह संचालित करता था। गीता के कब्जे से अपह्त 3 माह के बच्चे के अलावा इनसे पूछताछ के बाद पुलिस ने गिरोह के छह अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से डेढ माह के एक अन्य चुराए गए बच्चों को बरामद किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान दीपा (22), पिंकी (29), गोपाल उर्फ पंकज उर्फ गोलू (35), गीता रंधावा (45), मनोज कुमार (27), सृष्टि (26), ज्योति गोयल (37), मुरारी लाल गोयल (41) के रूप में हुई है सभी दिल्ली के रहने वाले है।
आरोपी गोपाल उर्फ पंकज ने खुलासा किया कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक है। वह एक प्रॉपर्टी डीलर के रूप में काम कर रहा था लेकिन कमाई पर्याप्त नहीं थी। गोपाल ने दो शादियां की हैं। मनमुटाव के कारण उसने अपनी पहली पत्नी को छोड़ दिया। गीता रंधावा के संपर्क में आने के बाद वे दोनों दिल्ली में विभिन्न स्थानों से नवजात शिशुओं की तस्करी के काम में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने पिंकी, श्रृष्टि, दीपा, पूजा, गौतम और मनोज को भी इस गिरोह में शामिल कर लिया। गिरेाह के लोग गर्भाधान केन्द्रों पर जाकर उन दंपतियों का विवरण एकत्र करते थे जिनके बच्चे नहीं हैं। बाद में ऐसे जोड़े जिनको बच्चा होंने की उम्मीद खत्म हो जाती थी उन्हें यह कहते हुए बच्चों को खरीदने का लालच दिया कि कानूनी तरीकों से गोद लेने की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है।
इस गिरोह ने कई बच्चों को बेचने की बात कबूल की है। उनके द्वारा जिन बच्चों को बेचा गया उनमें कुछ गरीब तबके के माता पिता भी जिन्होंने पैसों के लालच में एक से अधिक संतान होंने के कारण अपने बच्चों को स्वेच्छा से उनके जरिए बेचा था। बच्चों की अवैध तस्करी में अस्पतालों की भूमिका का पता लगाने के लिए पुलिस अभी जांच कर रही है।
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